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बगलामुखी चालीसा (Baglamukhi Chalisa)

माँ बगलामुखी को दस महाविद्याओं में से आठवीं महाविद्या के रूप में जानी जाती हैं। जो कि माँ शक्ति के दस रूपों में से आठवां रूप है। शक्ति का ये रूप शत्रुओं का नाश करती है और जातक को वाक् शक्ति प्रदान करती है। माँ के बगलामुखी रूप के नाम का अर्थ है। बगला व मुखी। इस में बगला शब्द संस्कृत के वल्गा का अपभ्रंश है जिसका मतलब होता है लगाम लगाना एवं मुखी का अर्थ मुहं होता है। इस प्रकार बगलामुखी का मतलब किसी चीज़ पर लगाम लगाने वाले मुहं से है। तो यह थी देवी शक्ति के आठवें रूप के बारे में जानकारी। आइए अब जानते हैं कि जो व्यक्ति माँ के इस बगलामुखी रूप की पूजा करता है उसको क्या लाभ होते है।

माँ बगलामुखी की पूजा के लाभ

यदि कोई व्यक्ति माँ बगलामुखी माता की रोज पूजा करता हैं तो उसे कई तरह के लाभ मिलते हैं। देवी बगलामुखी की पूजा करने से जातक को शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती हैं। इसलिए अपने शत्रुओं से छुटकारा पाने, किसी भी प्रकार की समस्या और डर को समाप्त करने लिए भक्त माँ बगलामुखी की विशेष पूजा-अर्चना व पाठ करते हैं और उन्हें प्रसन्न करते हैं। माता बगलामुखी के इस रूप की पूजा मुख्यत: गुप्त नवरात्रों में की जाती हैं। गुप्त नवरात्रों के दौरान भक्तजन माता रानी की 10 महाविद्याओं की पूजा करते हैं जिसमें से आठवें दिन महाविद्या बगलामुखी की पूजा करने का विधान हैं। माँ बंगलामुखी की चालीसा का पाठ करने से माँ जल्द प्रसन्न होती है और भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं। तो आइए पढ़ते है माँ बगलामुखी की चालीसा (Baglamukhi Chalisa In Hindi) हिंदी में।

माँ बगलामुखी चालीसा लिरिक्स (Baglamukhi Chalisa In Lyrics)

श्री बगलामुखी चालीसा

** II दोहा II**

नमो महाविधा बरदा, बगलामुखी दयाल I स्तम्भन क्षण में करे, सुमरित अरिकुल काल II

II चौपाई II

नमो नमो पीताम्बरा भवानी I बगलामुखी नमो कल्यानी II (1)

भक्त वत्सला शत्रु नशानी I नमो महाविधा वरदानी II (2)

अमृत सागर बीच तुम्हारा I रत्न जड़ित मणि मंडित प्यारा II (3)

स्वर्ण सिंहासन पर आसीना I पीताम्बर अति दिव्य नवीना II (4)

स्वर्णभूषण सुन्दर धारे I सिर पर चन्द्र मुकुट श्रृंगारे II (5)

तीन नेत्र दो भुजा मृणाला I

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